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हरियाणा में केबिनेट के फर्जी पत्र से 500 करोड़ का घपला करने का प्रयास,निशाने पर आए ये अधिकारी

सत्य खबर, चंडीगढ़ ।

हरियाणा की पूर्व मनोहर सरकार के एक फर्जी कैबिनेट लेटर से हड़कंप मच गया है। इस लेटर में प्रदेश के 3 जिलों गुरुग्राम, रोहतक और सोनीपत की 500 करोड़ की बेशकीमती जमीन हथियाने की कोशिश की गई। इस गड़बड़झाले में सचिवालय के भी 3 कर्मियों की संलिप्तता मिली है।

इस लेटर में कैबिनेट ब्रांच के सुपरिटेंडेंट के फेक सिग्नेचर भी मिले हैं। इसका खुलासा जांच में हुआ है।

मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद के आदेश पर पंचकूला सेक्टर 5 पुलिस थाना में मामला दर्ज कर लिया गया है। पंचकूला क्राइम ब्रांच इस मामले की जांच कर रही है। सीआईडी के चीफ आलोक कुमार मित्तल मामले की जांच खुद देख रहे हैं। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी ) शत्रुजीत कपूर भी जांच कर रहे हैं।

3 दिन पहले इस मामले की शिकायत पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के पास पहुंची थी। कैबिनेट का लेटर देखकर पूर्व मुख्यमंत्री खट्टर खुद हैरान रह गए और उन्होंने आनन-फानन में मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद से जानकारी ली। मुख्य सचिव ने जब ब्रांच के कर्मचारियों से बात की पता चला कि कैबिनेट मीटिंग का पत्र पूरी तरह से फर्जी है।

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कैबिनेट के इस लेटर में कैबिनेट ब्रांच के अधीक्षक के सिग्नेचरों की जब जांच की गई तो वह भी फर्जी निकले। इसके बाद मुख्य सचिव के आदेशों के बाद इस मामले में सचिवालय के तीन कर्मियों से पूछताछ की गई। जिसमें मामले से जुड़े लोगों की जानकारी सामने आ गई है।

इस प्रकरण में गुरुग्राम के अलावा पंचकूला के प्रॉपर्टी डीलरों की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है। मुख्य सचिव ने तीनों कर्मचारियों से पूछताछ की तो उसमें गुरुग्राम के एक व्यक्ति के नाम का खुलासा हुआ है।

दरअसल गुरुग्राम के बादशाहपुर और राजीव चौक क्षेत्र की बेशकीमती जमीनों को रिलीज करने के लिए कैबिनेट मीटिंग का एक फर्जी पत्र तैयार किया। इस पत्र में 15 और 21 दिसंबर 2023 की तारीख लिखी गई है। जबकि इस दौरान कोई कैबिनेट बैठक ही नहीं हुई। तत्कालीन सीएम मनोहर लाल की अध्यक्षता में नवंबर महीने में कैबिनेट बैठक हुई थी।

इस फर्जीवाड़े का खुलासा कैबिनेट नोट पढ़ने के बाद हुआ। नोट में मुख्यमंत्री और एफसीआर दोनों के पद लिखे गए थे। जबकि कैबिनेट मीटिंग के सिस्टम में कैबिनेट मीटिंग का नोट वरिष्ठता के हिसाब से लिखा जाता है, लेकिन उसमें उसके विपरीत लिखा गया था।

सूत्रों की माने तो फर्जी पत्र तैयार करने वाले लोग राजस्व विभाग के स्थानीय कर्मचारियों से मिलीभगत कर जमीन की रजिस्ट्री कराने की तैयारी में थे। लेकिन इससे पहले इसका खुलासा होने से उनके अरमानों पर पानी फिर गया।

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हाउसिंग फॉर आल में तैनात एक वरिष्ठ कर्मचारी ने गृह विभाग में तैनात एक कर्मचारी को वॉट्सऐप पर पत्र भेजकर उसके कागजात निकलवाने को कहा। जब कर्मचारी कैबिनेट ब्रांच के अधीक्षक के पास पत्र लेकर पहुंचा तो उसे देखते ही अधीक्षक के होश उड़ गए।

जब कर्मचारियों के आपसी तार जोड़े गए तो पता चला कि हाउसिंग फॉर आल में तैनात कर्मचारी को उसके हिसार के एक दोस्त ने कागज निकालने के लिए कहा था।

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